RSS प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संगठन के मुखपत्रों 'पांचजन्य' और 'ऑर्गेनाइजर' में दिए एक साक्षात्कार में यह सुझाव दिया है कि आरक्षण की समीक्षा होना चाहिए, क्योंकि आरक्षण का अब राजनीतिकरण हो चला है। आरक्षण पर राजनीति और उसके दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए भागवत ने कहा कि एक समिति बनाई जानी चाहिए जो यह तय करे कि कितने लोगों को और कितने दिनों तक आरक्षण की आवश्यकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा, संविधान में सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग पर आधारित आरक्षण नीति की बात है, तो वह वैसी हो जैसी संविधानकारों के मन में थी। वैसा उसको चलाते तो देश में आज ये सारे प्रश्न खड़े नहीं होते। उसका राजनीति के रूप में उपयोग किया गया है, लेकिन अब इसकी समीक्षा होना चाहिए।